मातृभूमि कविता का भावार्थ

हे ! मातृभूमि तुमको सौ-सौ बार प्रणाम !

हे ! मातृभूमि तेरी गोद में गांधी, बुद्ध और राम सोये हुए हैं !

अमर पुरुषों को जन्म देनेवाली मातृभूमि, तुमको सौ-सौ बार प्रणाम करता हूँ !

हे मातृभूमि ! तुम्हारे यहाँ   के खेत हरे-भरे हैं । 

हे मातृभूमि ! तुम्हारे यहाँ  के वन - उपवन पल -पूलों से भरे हुए  हैं ।

हे मातृभूमि ! आप बिना रुकावट से बाँट रही हैं - सुख-संपत्ति, धन -धाम।  हे मातृभूमि ! आपको सौ-सौ बार प्रणाम !

हे मातृभूमि ! आपके एक हाथ में न्याय का ध्वज है तो दूसरे हाथ में ज्ञान का दीपक है। 

हे मातृभूमि ! आप जग के रूप को बदल दीजिए ...

हे मातृभूमि ! हम करोड़ों भारतवासी आपके आज आपके साथ हैं ..