Viram chinh हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है। इन चिन्हों का सही उपयोग कर हम वाक्यों को स्पष्ट, सहज और समझने योग्य बना सकते हैं। ऐसे में वाक्य को सही रूप एवं भाव देने के लिए Viram chinh का सही चयन करना अति महत्वपूर्ण बन जाता है।
इस लेख में हम Viram chinh की परिभाषा, Viram chinh का महत्व, Viram chinh के प्रकार, उपयोग, उदाहरण, सही चयन आदि के बारे में विस्तार से बताएंगे।
यह Viram chinh in hindi लेख Class 4th, Class 5th, Class 6th, Class 7th, Class 8th, Class 9th, Class 10th, Class 11th, Class 12th, तथा CET, TET के सभी छात्रों के लिए बहुत ही लाभदायक है।
Viram chinh in hindi
विराम चिन्ह की परिभाषा
“भाषा में स्थान -विशेष पर रुकने अथवा उतार-चढ़ाव आदि दिखाने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है उन्हें ‘Viram chinh‘ कहते हैं।”
विराम चिन्हों के प्रयोग से वाक्यों में थोड़ा सा ठहराव आता है जो उन्हें समझने में आसान बनाता है। इन चिन्हों का उपयोग वाक्य के अंत में, वाक्य के बीच में या वाक्य के शुरुआत में किया जाता है। इन चिन्हों के बिना वाक्य अर्थहीन हो जाते हैं या उनका सही मतलब समझना मुश्किल हो जाता है।
Key Takeaways
- Viram chinh हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है।
- विराम चिन्हों के सही उपयोग से वाक्यों को स्पष्ट, सहज और समझदार बनाया जा सकता है।
- विराम चिन्हों का सही चयन वाक्यों में ठहराव लाने में मदद करता है और उन्हें समझने में आसानी प्रदान करता है।
- विराम चिन्ह का महत्व
Viram chinh हिंदी वाक्यों के अंत में लगाए जाने वाले चिन्ह होते हैं। इन चिन्हों का महत्व वाक्य के अर्थ में उन्नति लाने के लिए बहुत अधिक होता है। विराम चिन्ह सही जगह पर लगाने से वाक्य का अर्थ स्पष्ट होता है और उससे वाक्य का अर्थ व्याख्या करना आसान हो जाता है।
इन चिन्हों के बिना लिखे गए वाक्य अर्थहीन हो जाते हैं। इसलिए Viram chinh का महत्व बहुत ज्यादा होता है। विराम चिन्ह के बिना वाक्य का अर्थ बनाना बहुत मुश्किल होता है। इस तरह विराम चिन्ह लिखना वाक्य को सही ढंग से लिखने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
Viram chinh के द्वारा हमें वाक्य में ठहराव दिखता है। इससे हमें वाक्य का महत्वपूर्ण हिस्सा समझ में आता है। विराम चिन्ह के बिना वाक्य बिना ठहराव के लिखा जाता है, जिससे वाक्य का मतलब समझना बहुत मुश्किल होता है।
इसलिए Viram chinh hindi grammar में बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे सही ढंग से लिखना बहुत जरूरी होता है। विराम चिन्ह के बिना हिंदी वाक्य अर्थहीन हो जाते हैं।
Viram chinh के प्रकार
1. अल्प विराम
2. अर्ध विराम
3. उप विराम
4. पूर्ण विराम
5. प्रश्न चिन्ह
6. विस्मयादिबोधक चिन्ह
7. निर्देशक चिन्ह
8. कोष्ठक चिन्ह
9. उद्धरण या अवतरण चिन्ह
10.योजक चिन्ह
11.लाघव चिन्ह
12.विवरण चिन्ह
13.विस्मरण या त्रुटिपूरक चिन्ह
14.पदलोप चिन्ह
1. अल्प विराम ( , )
जहाँ थोड़ी देर रुकना पडे, वहाँ अल्प विराम चिन्ह (Alp Viram) का प्रयोग करते हैं ।
उदाहरण :
१. गाड़ी, घोड़ा, पानी, बिजली
२. गोपाल, गोविंद और गौरी स्कूल में पढ़ते हैं।
2. अर्ध विराम ( ; )
जहाँ अल्प विराम (Alp Viram) की अपेक्षा कुछ अधिक देर तक रुकना पडे, वहाँ अर्द्ध विराम (Ardh Viram) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण :
१. सूर्यास्त हो गया ; लालिमा का स्थान कालिमा ने ले लिया।
२. सूर्योदय हो गया ; चिड़िया चहकने लगी और कमल खिल गए।
3. उप विराम ( : )
जब किसी कथन को अलग दिखाना हो तो वहाँ पर उप विराम (Up Viram) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण :
१. प्रदूषण : एक अभिशाप।
२. विज्ञान : वरदान या अभिशाप।
4. पूर्ण विराम ( । )
वाक्य के समाप्त होने पर पूर्ण विराम चिन्ह (Purn Viram) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण :
१. भीम दुकान जाता है।
२. खेत से हमें अनाज प्राप्त होता है।
5. प्रश्न चिन्ह ( ? )
प्रश्न चिन्ह (Prashn Chinh) का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में किया जाता है।
उदाहरण :
१. गोपाल क्या लिख रहा है ?
२. ताजमहल किसने बनवाया ?
6. विस्मयादिबोधक चिन्ह ( ! )
यह विस्मयादिबोधक चिन्ह (Vismahadibodhak Chinh) अव्यय शब्द के आगे लगाया जाता है।
उदाहरण :
१. हाय !, आह !, छि !, अरे !, शाबाश !
२. हाय ! वह मारा गया।
३. आह ! कितना सुहावना मौसम है।
7. निर्देशक चिन्ह ( ― )
निर्देशक चिन्ह (Nirdeshak Chinh) का प्रयोग विषय, विवाद, संबंधित, प्रत्येक शीर्षक के आगे, उदाहरण के पश्चात, कथोपकथन के नाम के आगे किया जाता है । इसको रेखा चिन्ह (Rekha Chinh) के नाम से भी जाना जाता है।
उदाहरण :
१. जैसे ― अनार, आम, संतरा।
२. अध्यापक ― तुम जा सकते हो।
8. कोष्ठक चिन्ह ({ }, [ ] )
कोष्ठक चिन्ह (Koshthak Chinh) का प्रयोग अर्थ को और अधिक स्पस्ट करने के लिए शब्द अथवा वाक्यांश को कोष्ठक के अंदर लिखकर किया जाता है ।
उदाहरण :
१. विश्वामित्र (क्रोध में काँपते हुए) ठहर जा।
२. धर्मराज (युधिष्ठिर) सत्य और धर्म के संरक्षक थे।
9. उद्धरण/अवतरण चिन्ह ( ” ” )
किसी कथन को ज्यों का त्यों लिखने के लिए उद्धरण या अवतरण चिन्ह (Uddharan or Avtaran Chinh) का प्रयोग करते हैं ।
उदाहरण :
१. महा कवि तुलसीदास ने सत्य कहा है- “पराधीन सपनेहु सुख नाहीं।”
२. भारतेंदु जी ने कहा, “हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान।”
10.योजक चिन्ह ( – )
योजक चिन्ह (Yojak Chinh) का प्रयोग समस्त पदों के मध्य में किया जाता है।
उदाहरण :
१. सुख-दुःख, लाभ-हानि, दिन-रात, यश-अपयश, तन-मन-धन।
२. देश के दीवानों ने तन-मन-धन से देश की रक्षा के लिए प्रयत्न किया।
11.लाघव चिन्ह ( ० )
किसी बड़े शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए कुछ अंश लिखकर लाघव चिन्ह (Laghav Chinh) लगा दिया जाता है । इसको संक्षेपण चिन्ह (Sankshepan Chinh) भी कहते हैं।
उदाहरण :
१. उत्तर प्रदेश के लिए ― उ० प्र०।
२. डॉक्टर के लिए ― डॉ०।
३. इंजिनियर के लिए ― इंजी०
12.विवरण चिन्ह ( :- )
विवरण चिन्ह (Vivran Chinh) का प्रयोग वाक्यांश के विषयों में कुछ सूचक निर्देश आदि देने के लिए किया जाता है ।
उदाहरण :
१. वनों से निम्न लाभ हैं :-
२. इस देश में बड़ी – बड़ी नदियाँ हैं :-
13.विस्मरण/टिपूरक चिन्ह ( ^ )
विस्मरण चिन्ह (Vismaran Chinh) का प्रयोग लिखते समय किसी शब्द को भूल जाने पर किया जाता है।
उदाहरण :
१. मैं पिताजी के साथ ^ गया।
२. हमें रोजाना अपना कार्य ^ चाहिए।
14.पदलोप चिन्ह ( … )
जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़कर लिखना हो तो लोप चिन्ह (Padlop Chinh) का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण :
१. राम ने मोहन को गली दी …।
२. मैं सामान उठा दूंगा पर …।
सही विराम चिन्ह का चयन
जब भी कोई वाक्य लिखा जाता है, तो उसमें विराम चिन्ह का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है। Viram chinh का उपयोग वाक्य को स्पष्ट बनाने के लिए किया जाता है। यदि विराम चिन्ह सही ढंग से चुना नहीं गया होता है तो वाक्य का अर्थ बिगड़ सकता है।
Viram chinh का चयन वाक्य के अंत में या बीच में किया जा सकता है। विराम चिन्ह का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि विराम चिन्ह का उपयोग वाक्य को स्पष्ट बनाने के लिए होता है या नहीं।
विराम चिन्ह के चुनाव में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- वाक्य के अंत में Viram chinh का चयन करना चाहिए।
- वाक्य के बीच में viram chinh का चयन करने से पहले वाक्य को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
- विराम चिन्ह का चयन करते समय वाक्य के अर्थ को समझना चाहिए।
- विराम चिन्ह का चयन करते समय वाक्य में प्रयोग किए जाने वाले अन्य चिन्हों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
इन सभी बातों का ध्यान रखकर विराम चिन्ह का सही चयन करना चाहिए।
विराम चिन्हों की भूलें
Viram chinh हिंदी वाक्यों में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये वाक्यों को सही ढंग से विभाजित करने और समझने में मदद करते हैं। हालांकि, कभी-कभी लोग इन विराम चिन्हों का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं जिससे उनके लिखे वाक्य ग़लत साबित होते हैं। इस अनुभव से कुछ विराम चिन्हों की भूलें निम्नलिखित हैं:
अर्द्ध विराम (;)
अर्द्ध विराम का प्रयोग दो वाक्यों को एक साथ लिखने में किया जाता है। यह विराम चिन्ह दो वाक्यों को एक साथ लिखने से पहले आता है। लेकिन, कुछ लोग इसके स्थान पर अल्प विराम का उपयोग करते हैं जिससे उनके लिखे वाक्य ग़लत होते हैं।
पूर्ण विराम (।)
पूर्ण विराम का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है। यह विराम चिन्ह एक वाक्य के अंत में लगाया जाता है लेकिन कुछ लोग इसे वाक्य के बीच में या अंतर्निहित वाक्यों के बीच में भी लगा देते हैं जिससे वाक्यों का अर्थ ग़लत होता है।
अल्प विराम (,)
अल्प विराम का प्रयोग वाक्य के बीच में किया जाता है। यह विराम चिन्ह वाक्यों के बीच में एक छोटी सी रुकावट देता है। लेकिन, कुछ लोग इसे वाक्य के अंत में लगा देते हैं जिससे वाक्यों का अर्थ ग़लत होता है।
इन विराम च
अन्य विराम चिन्ह
विराम चिन्ह वाक्य को विभाजित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन चिह्नों का उपयोग वाक्य के अंत में होता है। इसके अलावा, कुछ अन्य विराम चिन्ह होते हैं जो वाक्य के बीच में या दो शब्दों के बीच में उपयोग किए जाते हैं।
तुल्यतासूचक चिन्ह (=) वाक्य के बीच में उपयोग किया जाता है जब दो शब्दों का अर्थ समान होता है।
Conclusion
इन Viram चिन्हों का उपयोग सही ढंग से करना अत्यंत आवश्यक होता है। इन चिन्हों का गलत उपयोग वाक्य के अर्थ में भ्रम उत्पन्न कर सकता है।
साथियों, अब तक आपने Viram chinh in hindi लेख को पढ़ा है। मुझे लगता है यह सामाग्री आपके सभी प्रश्न के लिए अति आवश्यक साबित हुई है। इस लेख संबंधित आपके कोई सुझाव या विचार हो तो जरूर Comments box में लिखकर साझा कीजिए।
विराम चिन्ह से संबंधित Video
Source: STUDY 91
अवश्य पढ़ें :