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Mathrubhumi poem notes, amazing notes & summary, 10th class,

इस पोस्ट के अंतर्गत, 10th hindi notes के अंतर्गत हिंदी विषय से संबंधित Mathrubhumi poem के notes को बहुत ही विस्तार से लिखा गया है। जैसे एक वाक्य के उत्तर, दो-तीन वाक्य के उत्तर, अनुरूपता, जोड़कर लिखिए, रिक्त स्थान, mathrubhumi poem summary, कवि परिचय, नये शब्द Mathrubhumi poem videos तथा कविता भाग पूर्ण करना आदि।

यह Mathrubhumi poem छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कविता है। इसे भगवतीचरण वर्मा ने लिखा है। इस कविता के माध्यम से Mathrubhumi की विशेषता एवं देशप्रेम का भाव उत्पन्न होता है। साथ ही इसकी तैयारी करने पर आनेवाली परिक्षाओं में बहुत ही अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए इस Post के माध्यम से Mathrubhumi poem के notes को पढ़कर परीक्षा की तैयारी शुरु करते हैं।

Mathrubhumi poem notes

Mathrubhumi poem notes
Mathrubhumi poem notes

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

1. कवि किसे प्रणाम कर रहे हैं ?

उत्तर : कवि मातृभूमि को प्रणाम कर रहे हैं।

2. भारत माँ के हाथों में क्या है ?

उत्तर : भारत माँ के हाथों में न्याय पताका तथा ज्ञान-दीप हैं।

3. आज माँ के साथ कौन है ?

उत्तर : आज माँ के साथ कोटि-कोटि भारतवासी हैं।

4. सभी ओर क्या गूँज उठा है ?

उत्तर : सभी ओर जय-हिंद के नाद का गूँज उठा है।

5. भारत के खेत कैसे हैं ?

उत्तर : भारत के खेत हरे-भरे तथा सुहाने हैं।

6. भारत भूमि के अंदर क्या-क्या भरा हुआ है ?

उत्तर : भारत भूमि के अंदर खनिजों का व्यापक धन भरा हुआ है।

7. सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ कैसे बाँट रही है ?

उत्तर : सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ मुक्त हस्त से बाँट रही है।

8. जग के रूप को बदलने के लिए कवि किससे निवेदन करते हैं ?

उत्तर : जग के रूप को बदलने के लिए कवि भारत माता से निवेदन करते हैं।

9. ‘जय-हिंद’ का नाद कहाँ-कहाँ पर गूँजना चाहिए ?

उत्तर : ‘जय-हिंद’ का नाद भारत के सकल नगर और ग्राम में गूँजना चाहिए।

II. Mathrubhumi poem दो-तीन वाक्य के उत्तर:

1. भारत माँ के प्रकृति-सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।

उत्तर : भारत माँ के यहाँ हरे-भरे खेत, फल-फूलों से युत वन-उपवन तथा खनिजों का व्यापक धन है। इस प्रकार प्राकृतिक सौंदर्य ने सबको मोह लिया है ।

2. मातृभूमि का स्वरूप कैसे सुशोभित है ?

उत्तर : मातृभूमि अमरों की जननी है। उसके ह्रदय में गांधी, बुद्ध और राम समायित हैं। माँ के एक हाथ में न्याय पताका तथा दूसरे हाथ में ज्ञान दीप है। इस प्रकार मातृभूमि का स्वरूप सुशोभित है ।

III. अनुरूपता :

  1. वसीयत : नाटक :: चित्रलेखा : उपन्यास
  2. शत-शत : द्विरुक्ति :: हरे-भरे : युग्म
  3. बायें हाथ में : न्याय पताका :: दाहिने हाथ में : ज्ञान दीप
  4. हस्त : हाथ :: पताका : झंडा

IV. Mathrubhumi poem जोड़कर लिखिए:

1. तेरे उर में शायित गांधी, बुध्द और राम
2. फल-फूलों से युत वन-उपवन
3. एक हाथ में    न्याय-पताका
4. कोटि-कोटि हम आज साथ में
5. मातृ-भू   शत-शत बार प्रणाम
Mathrubhumi poem notes

V. Mathrubhumi poem रिक्त स्थान:

Mathrubhumi poem notes fill in the blanks
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  1. कवि मातृभूमि को शत-शत बार प्रणाम कर रहे हैं।
  2. भारत माँ के उर में गांधी, बुध्द और राम शायित हैं।
  3. वन, उपवन फल-फूलों से युक्त है।
  4. मुक्त हस्त से मातृभूमि सुख-संपत्ति बाँट रही है।
  5. सभी ओर जय-हिंद का नाद गूँज उठे।

VI. Mathrubhumi poem भावार्थ लेखन:

एक हाथ में न्याय-पताका,

ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,

जग का रुप बदल दे,

हे माँ, कोटि-कोटि हम आज साथ में ।

गूँज उठे जय-हिंद नाद से – सकल नगर और ग्राम,

मातृ-भू, शत-शतब बार प्रणाम ।

भावार्थ :

उपर्युक्त पंक्तियों को कवि भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित ‘मातृभूमि’ नामक कविता भाग से लिया गया है। कवि भारत माता की न्यायनिष्टा, ज्ञानशक्ति तथा महानता के बारे में बताते हुए इस प्रकार लिखते हैं कि – हे भारत माता ! तेरे एक हाथ में न्याय की पताका तो दूसरे हाथ में ज्ञान का दीपक है।

अब तू संसार का रूप बदल दे माँ! आज हम करोड़ों भारतवासी तुम्हारे साथ हैं। हे मा ! पूरे देश के गाँव-गाँव तथा नगर-नगर में ‘जय-हिंद’ का नाद गूँज उठे यही हमारी आशा है। भारत माता तुम्हें सौ-सौ बार प्रणाम।

VII. Mathrubhumi poem पध्य भाग:

हरे-भरे हैं खेत सुहाने,

फल-फूलों से युत वन-उपवन,

तेरे अंदर भरा हुआ है खनिजों का कितना व्यापक धन।

मुक्त-हस्त तू बाँट रही है सुख-संपत्ति, धन-धाम,

मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम।

Mathrubhumi poem कवि परिचय

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Mathrubhumi poem new words

1. शायित ಮಲಗಿರುವ 
2. अमर ಸಾವಿಲ್ಲದ 
3. हस्त    ಕೈ
4. सुहाने ಸುಂದರ 
5. धाम   ಮನೆ 
6. गूँज   ಪ್ರತಿಧ್ವನಿ
Mathrubhumi poem notes

Mathrubhumi notes video

Mathrubhumi poem summary in hindi

कवि भगवतीचरण वर्मा, इस कविता के माध्यम से मातृभूमि की विशेषता का परिचय देकर मन में देशप्रेम का भाव जगाना चाहते हैं।

कवि कहते हैं कि – हे मातृभूमि ! तुम्हें शत-शत प्रणाम, आप हम सब की जननी हो । आपके यहाँ से गाँधी, बुद्ध, राम जैसे महान् पुरुष जन्म लेकर सो रहे हैं। है माता, तुम्हें शत-शत प्रणाम करता हूँ।

हे मातृभूमि! तुम्हारे यहाँ के खेत हरे – भरे होकर सुंदर लगते हैं। यहाँ जो भी वन – उपवन है, वे फल-फूलों से भरे हुए हैं। आपके अंदर-खनिजों का अत्यधिक धन हैं। इस धन को आप मुक्त हाथों से सभी में बाँट रही हैं। सुख-संपत्ति, धन-धाम, सब कुछ हमारे लिए दिए हैं। माँ, आप को शत-शत प्रणाम।

हे भारत माता !  तेरे एक हाथ में न्याय की पताका तो दूसरे हाथ में ज्ञान का दीपक है। अब तू संसार का रूप बदल दे माँ! आज हम करोड़ों  भारतवासी तुम्हारे साथ हैं।

हे मा ! पूरे देश के गाँव-गाँव तथा नगर-नगर में ‘जय-हिंद’  का नाद गूँज उठे यही हमारी  आशा है। भारत माता तुम्हें सौ-सौ बार प्रणाम।

Mathrubhumi poem summary in english

Poet Bhagwati Charan Verma, through this poem, wants to awaken the feeling of patriotism in the mind by introducing the specialties of the motherland.

 The poet says – O motherland! Hundreds of salutes to you, you are the mother of all of us. Great men like Gandhi, Buddha, Ram are taking birth and sleeping from your place. Oh mother, I salute you with all my heart.

 Oh motherland! The fields here look beautiful and green. All the forests and gardens here are full of fruits and flowers. There is immense wealth of minerals inside you. You are distributing this wealth among everyone with free hands. Happiness, wealth, wealth, everything has been given for us. Mother, many respects to you.

 O Mother India! You have the banner of justice in one hand and the lamp of knowledge in the other. Now you change the face of the world, mother! Today, crores of us Indians are with you.

 Hema ! It is our hope that the cry of ‘Jai-Hind’ echoes in every village and city across the country. Mother India, I salute you a hundred times.

Mathrubhumi poem summary in kannada

ಕವಿ ಭಗವತಿಚರಣ್ ವರ್ಮಾ ಅವರು ಈ ಕವನದ ಮೂಲಕ ಮಾತೃಭೂಮಿಯ ವಿಶೇಷತೆಗಳನ್ನು ಪರಿಚಯಿಸುವ ಮೂಲಕ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ದೇಶಭಕ್ತಿಯ ಭಾವನೆಯನ್ನು ಜಾಗೃತಗೊಳಿಸಲು ಬಯಸುತ್ತಾರೆ.

 ಕವಿ ಹೇಳುತ್ತಾನೆ – ಓ ಮಾತೃಭೂಮಿ! ನಿನಗೆ ನೂರು-ನೂರು ನಮನಗಳು, ನೀನು ನಮ್ಮೆಲ್ಲರ ತಾಯಿ. ಗಾಂಧೀ, ಬುದ್ಧ, ರಾಮರಂತಹ ಮಹಾಪುರುಷರು ನಿಮ್ಮ ಮಡಿಲಲ್ಲಿ ಹುಟ್ಟಿ ನಿದ್ರಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಓ ತಾಯಿ, ನನ್ನ ಹೃದಯದಿಂದ ನಾನು ನಿಮಗೆ ವಂದಿಸುತ್ತೇನೆ.

 ಓ ಮಾತೃಭೂಮಿ! ಇಲ್ಲಿನ ಹೊಲಗಳು ಸುಂದರವಾಗಿ ಮತ್ತು ಹಸಿರಾಗಿ ಕಾಣುತ್ತಿವೆ. ಇಲ್ಲಿರುವ ಎಲ್ಲಾ ಕಾಡುಗಳು ಮತ್ತು ಉದ್ಯಾನಗಳು ಹಣ್ಣುಗಳು ಮತ್ತು ಹೂವುಗಳಿಂದ ತುಂಬಿವೆ. ನಿಮ್ಮೊಳಗೆ ಅಪಾರವಾದ ಖನಿಜ ಸಂಪತ್ತಿದೆ. ನೀವು ಈ ಸಂಪತ್ತನ್ನು ಮುಕ್ತ ಕೈಗಳಿಂದ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಹಂಚುತ್ತಿದ್ದೀರಿ. ಸಂತೋಷ, ಸಂಪತ್ತು, ಸಂಪತ್ತು ಎಲ್ಲವನ್ನೂ ನಮಗಾಗಿ ನೀಡಲಾಗಿದೆ. ತಾಯಿ, ನಿಮಗೆ ಅನೇಕ ಗೌರವಗಳು.

 ಓ ಭಾರತಮಾತೆ! ನಿಮ್ಮ ಒಂದು ಕೈಯಲ್ಲಿ ನ್ಯಾಯದ ಪತಾಕೆ ಮತ್ತು ಇನ್ನೊಂದು ಕೈಯಲ್ಲಿ ಜ್ಞಾನದ ದೀಪವಿದೆ. ಈಗ ನೀವು ಪ್ರಪಂಚದ ಮುಖವನ್ನು ಬದಲಾಯಿಸುತ್ತೀರಿ, ತಾಯಿ! ಇಂದು ಕೋಟಿಗಟ್ಟಲೆ ಭಾರತೀಯರು ನಿಮ್ಮೊಂದಿಗಿದ್ದೇವೆ.

 ಹೇಮಾ ! ‘ಜೈ-ಹಿಂದ್’ ಘೋಷಣೆ ದೇಶದಾದ್ಯಂತ ಪ್ರತಿ ಹಳ್ಳಿ ಮತ್ತು ನಗರದಲ್ಲಿ ಪ್ರತಿಧ್ವನಿಸಲಿ ಎಂಬುದು ನಮ್ಮ ಆಶಯ. ಭಾರತಮಾತೆ, ನಾನು ನಿನಗೆ ನೂರು ಬಾರಿ ನಮಸ್ಕರಿಸುತ್ತೇನೆ.

Mathrubhumi poem notes summary video

Conclusion

अबतक आपने Mathrubhumi poem notes को बहुत ही विस्तार से जाना है । मुझे उम्मीद है की यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस Mathrubhumi poem notes से संबंधित आपके कोई विचार हो तो जरूर Comments box में टाइप कीजिए । 

प्रिय छात्रों मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप इस नोट्स की तैयारी कर अपनी परीक्षा में अच्छे अंक लाने का प्रयास करें । बेस्ट आफ लक। 

FAQs बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. 1. कवि किसे प्रणाम कर रहे हैं ?

    उत्तर : कवि मातृभूमि को प्रणाम कर रहे हैं।

  2. 2. भारत माँ के हाथों में क्या है ?

    उत्तर : भारत माँ के हाथों में न्याय पताका तथा ज्ञान-दीप हैं।

  3. 3. आज माँ के साथ कौन है ?

    उत्तर : आज माँ के साथ कोटि-कोटि भारतवासी हैं।

  4. 4. सभी ओर क्या गूँज उठा है ?

    उत्तर : सभी ओर जय-हिंद के नाद का गूँज उठा है।

  5. 5. भारत के खेत कैसे हैं ?

    उत्तर : भारत के खेत हरे-भरे तथा सुहाने हैं।

  6. 6. भारत भूमि के अंदर क्या-क्या भरा हुआ है ?

    उत्तर : भारत भूमि के अंदर खनिजों का व्यापक धन भरा हुआ है।

  7. 7. सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ कैसे बाँट रही है ?

    उत्तर : सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ मुक्त हस्त से बाँट रही है।

  8. 8. जग के रूप को बदलने के लिए कवि किससे निवेदन करते हैं ?

    उत्तर : जग के रूप को बदलने के लिए कवि भारत माता से निवेदन करते हैं।

  9. 9. ‘जय-हिंद’ का नाद कहाँ-कहाँ पर गूँजना चाहिए ?

    उत्तर : ‘जय-हिंद’ का नाद भारत के सकल नगर और ग्राम में गूँजना चाहिए।

अच्छे अंक के लिए इन Notes को जरूर पढ़िए

अतिरिक्त जानकारी
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Mathrubhumi poem summary in hindi
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