इस Abhinav manushya poem के अंतर्गत एक अंक, दो-तीन अंक, भावार्थ, तुकांत शब्द, पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्ब्द, अनुरूप, कवि परिचय, Abhinav manushya poem summary in hindi, summary in english, summary in kannada आदि विषयों पर बहुत ही विस्तार से लिखा गया है।
यह Abhinav manushya poem Notes 9th class, 10th class तथा 12th class के छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आप इस नोट्स की तैयारी कर आनेवाले वार्षिक परीक्षा में बहुत ही अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए इसे पढ़ना शुरु करते हैं।
Abhinav manushya poem notes/summary in hindi/very imp/2023
I. Abhinav manushya एक वाक्य के उत्तर :
1. आज की दुनिया कैसी है ?
उत्तर :- आज की दुनिया विचित्र और नवीन है ।
2. मानव के हुक्म पर क्या चढ़ता और उतरता है ?
उत्तर :- मानव के हुक्म पर पवन का ताप चढ़ता और उतरता है ।
3. परमाणु किसे देखकर काँपते हैं ?
उत्तर :- परमाणु मनुष्य के करों को देखकर काँपते हैं ।
4. ‘अभिनव मनुष’ कविता के कवि का नाम लिखिए ।
उत्तर :- ‘अभिनव मनुष’ कविता के कवि का नाम है रामधारीसिंह दिनकर ।
5. आधुनिक पुरुष ने किस पर विजय पायी है ?
उत्तर :- आधुनिक पुरुष ने प्रकृति के हर तत्व पर विजय पायी है ।
6. नर किन-किन को एक समान लाँघ सकता है ?
उत्तर :- नर नदी, पहाड तथा समुद्र को एक समान लाँघ सकता है ।
7. आज मनुज का यान कहाँ जा रहा है ?
उत्तर :- आज मनुज का यान गगन में जा रहा है ।
II. Abhinav manushya दो-तीन वाक्य के उत्तर :
1. ‘प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन’ – इस पंक्ति का आशय समझाइए ।
उत्तर :- इस पंक्ति का आशय है कि आज के मानव ने प्रकृति के हर तत्व पर (आकाश, पाताल तथा
धरती) विजय प्राप्त कर ली है। अर्थात प्रकृति को अपने नियंत्रण में रखा है ।
2. दिनकर जी के अनुसार मानव का सही परिचय क्या है ?
उत्तर :- दिनकर जी के अनुसार जो मानव आपस में भाई-चारा बढ़ाये तथा दूसरे मानव से प्रेम का
रिश्ता जोड़कर आपस की दूरी को मिटाए वही सच्चा ज्ञानी, विदवान एवं मानव कहलाने का
अधिकारी है ।
3. अभिनव मनुष्य कविता का दूसरा कौन-सा शीर्षक हो सकता है ? क्यों ?
उत्तर :- इस कविता का दूसरा शीर्षक हो सकता है – ‘प्रकृति पुरुष’। क्योंकि मनुष्य ने लगभग
प्रकृति के हर तत्व पर अपने प्रयासों से विजय प्राप्त कर ली है ।
Abhinav manushya notes video
Source : Rk Karnataka Hindi
III. Abhinav manushya भावार्थ लेखन :
यह मनुज, जो सृष्टि का श्रंगार,
ज्ञान का, विज्ञान का, आलोक का आगार।
व्योम से पाताल तक सब कुछ इसे है ज्ञेय,
पर, न यह परिचय मनुज का, यह न उसका श्रेय।
भावार्थ :
कवि रामधारीसिंह दिनकर कहते हैं कि यह मनुष्य सृष्टि का श्रृंगार, ज्ञान और विज्ञान तथा
आलोक का आगार है । आकाश से पाताल तक की सब-कुछ जानकारी इसे है । परंतु यह
उसका सही परिचय नहीं है और न ही उसका श्रेय है ।
IV. तुकांत शब्दों के लिए उदाहरण :
1. भाप – ताप
2. व्यवधान – अवसान
3. श्रृंगार – आगार
4. ज्ञेय – श्रेय
5. जीत – प्रीत
V.पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए :
आज की दुनिया विचित्र, नवीन;
प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन।
है बँधे नर के करों में वारि, विध्युत, भाप,
हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप।
VI. पर्यायवाची शब्द लिखिए :
1 | दुनिया | जगत | संसार |
2 | विचित्र | विभिन्न | विलक्षण |
3 | नवीन | नया | नूतन |
4 | नर | पुरुष | आदमी |
5 | वारि | पानी | जल |
6 | कर | हाथ | हस्त |
7 | आगार | घर | मकान |
VII. विलोम शब्द लिखिए :
1 | आज | कल |
2 | आधुनिक | प्राचिन |
3 | पुरुष | स्त्री |
4 | नर | नारी |
5 | चढ़ना | उतरना |
6 | समान | असमान |
7 | ज्ञान | अज्ञान |
8 | जीत | हार |
9 | असीमित | सीमित |
10 | तोड़ | जोड़ |
VIII. एक शब्द लिखिए :
-
सभी जगहों में – सर्वत्र
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आसन पर बैठा हुआ – आसीन
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बचा हुआ – बचत/शेष
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मनु की संतान – मनुज
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विशेष ज्ञान – विज्ञान
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अधिक विद्या प्राप्त – विद्वान
IX. अनुरूप शब्द लिखिए :
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गिरि : पहाड़ :: वारि : पानी
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पवन : वायु :: सिंधु : सागर
-
ज़मीन : आसमान :: आकाश : पाताल
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नर : आदमी :: उर : ह्रदय
Abhinav manushya poem kavi parichaya
Abhinav manushya poem summary in hindi
रामधारी सिंह दिनकर जी प्रस्तुत कविता अभिनव मनुष्य के माध्यम से हमें स्नेह, मानवीयता, भाईचारा आदि गुणों का महत्व समझा रहे हैं।
कवि कहते हैं आज की दुनिया आधुनिक होते हुए भी हमें नवीन एवं विचित्रता का आभास कराती है। आज पुरुष प्रकृति पर अपना अधिकार प्राप्त कर चुका है। आज हवा, जल, विद्युत, भाप आदि सभी को मानव अपने मुट्ठि में बाँध रखा है।
मनुष्य प्रकृति पर हुक्म चलाने लगा है। पवन तथा ताप भी मनुष्य के हुक्म का पालन करने लगे हैं। आज मनुष्य बहुत ही आसानी से, समुद्र, पर्वत आदि को पार कर सकता है।
आज मनुष्य का यान आकाश में जा रहा है। आज इसके हाथों को देखकर परमाणु भी काँपने लगते हैं। क्योंकि यह परमाणु वो कण है जो भगवान के द्वारा बनाई हुई सुन्दर सृष्टि के कण-कण में है। साथ ही परमाणु हथियार से पूरी सृष्टि क्षणमात्र में नाश हो सकती है।
कवि कहते हैं कि – यह मनुज, प्रकृति सृष्टि का श्रृंगार हैं। यह ज्ञान का, विज्ञान का, विचारों का घर है। आकाश पाताल के बारे में सब कुछ जानकारी है।
अंत में कवि रामधारी सिंह दिनकर मनुष्य को समझाते हुए कहते हैं कि मनुष्य की सारी साधनाएँ बेकार है जब तक उसमें ए सारे गुण न हो। जैसे – एक दूसरे के साथ स्नेह का भाव रखना, दूसरे मानव को समझकर उनके साथ मानवीयता का व्यवहार करना, ऊँच-नीच, जाति-धर्म को छोड़कर भाईचारा की भावना रखना। जो इन गुणों को अपनाता है। वही ज्ञानी, विद्वान एवं मानव कहलाने का अधिकारी है।
Abhinav manushya poem summary in english
Ramdhari Singh Dinkar ji is explaining to us the importance of qualities like affection, humanity, brotherhood etc. through the presented poem Abhinav Manush.
The poet says that today’s world, despite being modern, gives us a feeling of newness and strangeness. Today man has gained control over nature. Today, man has tied air, water, electricity, steam etc. all in his fist.
Man has started ruling nature. Wind and heat have also started following the orders of man. Today man can cross seas, mountains etc. very easily.
Today man’s spacecraft is going into the sky. Today even atoms start trembling after seeing his hands. Because this atom is the particle which is in every particle of the beautiful creation created by God.
Also, with nuclear weapons the entire universe can be destroyed in a moment. The poet says – This Man is the decoration of nature. It is the house of knowledge, science and ideas. He has every information about Sky and Earth.
In the end, poet Ramdhari Singh Dinkar explains to man that all the efforts of man are useless unless he has all these qualities.
Such as – having a feeling of affection towards each other, understanding other human beings and treating them humanely, having a feeling of brotherhood irrespective of caste and religion.
Who adopts these qualities. He alone has the right to be called knowledgeable, learned and human.
Abhinav manushya bhavarth video
Source : Rk Karnataka Hindi
Abhinav manushya poem summary in kannada
ರಾಮ್ಧಾರಿ ಸಿಂಗ್ ದಿನಕರ್ ಜಿ ಅವರು ಅಭಿನವ್ ಮಾನುಷ್ ಎಂಬ ಕವಿತೆಯ ಮೂಲಕ ನಮಗೆ ವಾತ್ಸಲ್ಯ, ಮಾನವೀಯತೆ, ಸಹೋದರತ್ವ ಮುಂತಾದ ಗುಣಗಳ ಮಹತ್ವವನ್ನು ವಿವರಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ.
ಇಂದಿನ ಜಗತ್ತು ಆಧುನಿಕವಾಗಿದ್ದರೂ ಸಹ ನಮಗೆ ಹೊಸತನ, ಅಪರಿಚಿತತೆಯ ಭಾವ ಮೂಡಿಸುತ್ತದೆ ಎನ್ನುತ್ತಾರೆ ಕವಿ. ಇಂದು ಮನುಷ್ಯ ಪ್ರಕೃತಿಯ ಮೇಲೆ ಹಿಡಿತ ಸಾಧಿಸಿದ್ದಾನೆ. ಇಂದು ಮನುಷ್ಯ ಗಾಳಿ, ನೀರು, ವಿದ್ಯುತ್, ಹಬೆ ಹೀಗೆ ಎಲ್ಲವನ್ನೂ ತನ್ನ ಮುಷ್ಟಿಯಲ್ಲಿ ಕಟ್ಟಿಕೊಂಡಿದ್ದಾನೆ.
ಮನುಷ್ಯ ಪ್ರಕೃತಿಯನ್ನು ಆಳತೊಡಗಿದ್ದಾನೆ. ಗಾಳಿ ಮತ್ತು ಶಾಖವು ಸಹ ಮನುಷ್ಯನ ಆದೇಶವನ್ನು ಅನುಸರಿಸಲು ಪ್ರಾರಂಭಿಸಿದೆ. ಇಂದು ಮನುಷ್ಯ ಸಮುದ್ರ, ಪರ್ವತ ಇತ್ಯಾದಿಗಳನ್ನು ಅತ್ಯಂತ ಸುಲಭವಾಗಿ ದಾಟಬಲ್ಲ.
ಇಂದು ಮನುಷ್ಯನ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ನೌಕೆ ಆಕಾಶಕ್ಕೆ ಹೋಗುತ್ತಿದೆ. ಇಂದು ಅವನ ಕೈಗಳನ್ನು ನೋಡಿದ ನಂತರ ಪರಮಾಣುಗಳು ಸಹ ನಡುಗಲು ಪ್ರಾರಂಭಿಸುತ್ತಿವೆ. ಪರಮಾಣು ಎಂದರೆ ದೇವರು ಸೃಷ್ಟಿಸಿದ ಸುಂದರ ಸೃಷ್ಟಿಯ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಕಣದಲ್ಲೂ ಇರುವ ಕಣ. ಅಲ್ಲದೆ, ಪರಮಾಣು ಶಸ್ತ್ರಾಸ್ತ್ರಗಳಿಂದ ಇಡೀ ವಿಶ್ವವನ್ನು ಕ್ಷಣದಲ್ಲಿ ನಾಶಪಡಿಸಬಹುದು.
ಕವಿ ಹೇಳುತ್ತಾನೆ – ಈ ಮನುಷ್ಯ ಪ್ರಕೃತಿಯನ್ನು ಅಲಂಕಾರ ಮಾಡುತ್ತಾನೆ. ಹಾಗೆಯೇ ಈ ಮಾನವ ಜ್ಞಾನ, ವಿಜ್ಞಾನ ಮತ್ತು ಕಲ್ಪನೆಗಳ ಮನೆಯಾಗಿದ್ದಾನೆ. ಇವನಿಗೆ ಸ್ವರ್ಗದಿಂದ ನರ್ಕದವರೆಗೆ ಎಲ್ಲಾ ಮಾಹಿತಿ ಇದೆ.
ಕೊನೆಯಲ್ಲಿ, ಕವಿ ರಾಮಧಾರಿ ಸಿಂಗ್ ದಿನಕರ್ ಮನುಷ್ಯನಿಗೆ ಈ ಎಲ್ಲಾ ಗುಣಗಳನ್ನು ಇರಲೆಬೇಕು, ಇಲ್ಲ ವೆಂದರೆ ಮನುಷ್ಯನ ಎಲ್ಲಾ ಪ್ರಯತ್ನಗಳು ನಿಷ್ಪ್ರಯೋಜಕವೆಂದು ವಿವರಿಸುತ್ತಾನರೆ.
ಉದಾಹರಣೆಗೆ – ಒಬ್ಬರಿಗೊಬ್ಬರು ಪ್ರೀತಿಯ ಭಾವನೆಯನ್ನು ಹೊಂದಿರುವುದು, ಇತರ ಮನುಷ್ಯರನ್ನು ಅರ್ಥಮಾಡಿಕೊಳ್ಳುವುದು ಮತ್ತು ಅವರನ್ನು ಮಾನವೀಯವಾಗಿ ನಡೆಸಿಕೊಳ್ಳುವುದು, ಜಾತಿ ಮತ್ತು ಧರ್ಮವನ್ನು ಲೆಕ್ಕಿಸದೆ ಸಹೋದರತ್ವದ ಭಾವನೆಯನ್ನು ಹೊಂದಿರುವುದು. ಈ ಗುಣಗಳನ್ನು ಯಾರು ಅಳವಡಿಸಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಾರೆ. ಅವರು ಮಾತ್ರ ಜ್ಞಾನಿ, ವಿದ್ವಾಂಸ ಮತ್ತು ಮಾನವ ಎಂದು ಕರೆಯುವ ಹಕ್ಕು ಹೊಂದಿರುತ್ತಾರೆ.
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