9th class hindi Mausi lesson question answer / प्रश्न उत्तर

इस लेख में 9th class/hindi/मौसी/lesson/Question answer/प्रश्न उत्तर को बहुत ही अच्छी तरह से लिखा गया है। 

यह 9th class/hindi/मौसी/lesson/Question answer/प्रश्न उत्तर छात्रों के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसमें नोट्स के अलावा लेखक परिचय और हिंदी, कन्नड़  तथा अंग्रेजी भाषा में पाठ की Summary को लिखा गया है। 

अगर छात्र इस 9th class/hindi/मौसी/lesson/Question answer/प्रश्न उत्तर लेख की तैयारी करते हैं तो, उन्हें इस 9th class/hindi/मौसी/lesson से संबंधित सारी शंकाएं दूर हो जाएंगी। साथ ही परीक्षा में भी बहुत ही अच्छे अंक प्राप्त कर पाएंगे । तो चलिए इस लेख को पढ़ना शुरू करते हैं।  

Question answer/hindi/मौसी/lesson/प्रश्न उत्तर/9th class :

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9th class  मौसी Lesson लेखक परिचय :

लेखक का नाम भीष्म साहनी
जन्म 7 अगस्त 1915
स्थान रावलपिंडी
शिक्षा एम.ए., पीएच. डी.
भाषा ज्ञान हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, रूसी, पंजाबी
उपन्यास झरोखे, कड़ियाँ, तमस, बसंती
कहानी भाग्यरेखा, भटकती राख, वाङ्चू, शोभा-यात्रा
जीवनियाँ यथा भाई बलराज, अपनी बात
नाटक कबीरा खड़ा बाज़ार में, माधवी, मुआवज़े
पुरस्कार शिरोमणि पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार

मौसी/lesson/Question answer-

प्रश्न उत्तर :

I. एक वाक्य के प्रश्न उत्तर :

1. माँ के जैसी प्यारी कौन थी?

उत्तर: माँ के जैसे प्यारी मौसी थी।

2. मौसी सभी को किस समय साथ देती थी?

उत्तर: मौसी सभी को सुख-दु:ख के समय में साथ देती थी।

3. दोपहर होने पर मौसी कहाँ पहुँच जाती थी?

उत्तर: दोपहर होने पर मौसी स्कूल के फाटक पर पहुँच जाती थी।

4. मौसी बच्चों को क्या-क्या खिलाती थी?

उत्तर: मौसी बच्चों को चने, टिकिया, मूँग फली आदि खिलाती थी।

5. मौसी के बिना सारा मोहल्ला कैसा लगता था?

उत्तर: मौसी के बिना सारा मोहल्ला सूना-सूना लगता था।

6. लड़के भागकर क्या उठाकर क्या ले आए?

उत्तर: लड़के भागकर दरी,तकिया,रोटियाँ,दूध,लैंप आदि उठाकर ले आए।

7. बच्चों ने हेडमास्टर से क्या विनती की?

उत्तर: बच्चों ने हेडमास्टर से विनती की कि- मौसी को स्कूल में काम दिया जाय।

8. मौसी के जीवन में कैसे दिन लौट आए?

उत्तर: मौसी के जीवन में खुशी के दिन लौट आए।

II. दो-तीन वाक्य के question answer :

1. मौसी बच्चों को कौन – कौन सी कहानियाँ सुनाती थी?

उत्तर: मौसी बच्चों को रोज़ दोपहर नीम के पेड़ के नीचे बैठकर तोता-तोती की कहानी, काठ के घोड़े की कहानी एवं वीरोचित कहानी आदि सुनाती थी।

2. बच्चों को मौसी का न दिखाई देना कब मालूम होता है?

उत्तर: एक दिन जब जब स्कूल की छुट्टी हुई, बच्चे बस्ते उठाकर बाहर निकले तो मौसी फाटक पर नहीं मिली। शाम को बच्चे खेलने के लिए निकले तो मौसी पेड़ के नीचे भी नहीं थी। किसी को भी मालूम नहीं था कि मौसी कहाँ गई है।

3. मकान के अंदर से बच्चों को कैसी आवाजें सुनाई दी?

उत्तर: एक दिन बच्चे मौसी की खोज में घूम रहे थे। तभी एक मकान के अंदर से ऊँची-ऊँची आवाजें सुनाई दी।

4. बच्चों को क्यों गुस्सा आया?

उत्तर: बंद दरवाजे की दरार में से झाँककर देखा तो मौसी एक खाट पर लेटी थी। उसके बाल उलझे हुए और चेहरा सूखा हुआ था। मौसी को ऐसी स्थिति में देखकर बच्चों को गुस्सा आया।

III. तीन-चार वाक्य के question answer :

1. मौसी और बच्चों के बीच में क्या बातचीत हुई?

उत्तर: “तू इतने दिन कहाँ थी मौसी? यहाँ क्यों बैठी हो?” एक ने पूछा। “मैं यहाँ से जा रही हूँ बेटा।” कहते हुए मौसी की आँखे भर आईं। “तू तो बीमार थी मौसी? तबीयत कैसी है?” बलदेव ने पूछा। “बेटा मैं ठीक हो गई हूँ। अपना गाँव जा रही हूँ।” “हम तुझे कहीं नहीं जाने देंगे मौसी,” सब ने एक स्वर में कहा।

2. बच्चों ने मिलकर मौसी की सेवा किस प्रकार की?

उत्तर: दुकान के सामने एक खाट बिछी थी। दो-तीन लड़के भागकर खाट उठ ले आए। उस पर मौसी को बिठाकर सीधे नीम के पेड़ के नीचे ले आए। कन्हैया भागकर अपने घर से दरी और तकिया लगाया। उषा थाली में दो रोटियाँ लायीं। योगराज एक कटोरे में दूध लाया। गोपाल घर से लैंप उठा लाया। मुन्नी पीने के लिए पानी लायी। बलदेव के पिता डॉक्टर थे। वह अपने पिता को क्लिनिक से खींच लाया। इस प्रकार बच्चों ने मिलकर मौसी की सेवा की।

3. मौसी के खुशी जीवन का वर्णन कीजिए।

उत्तर: स्कूल के आँगन में मौसी को बच्चे घेरे रहते और वह उन्हें कहानियाँ सुनाती। कभी-कभी लाठी टेकती हुई मोहल्ले का चक्कर काटती, सभी घरों में झाँक उनका कुशल-क्षेम पूछती। साँझ ढ़ले अपनी कोठरी में चली आती और चैन की साँस देती।

IV. रिश्ता जानिए और लिखिए:

  1. पिता के पिता : दादा :: माता के पिता : नाना
  2. पिता की बहन : बुआ :: माता की बहन: मौसी
  3. पति/पत्नी के पिता : ससुर :: पति/पत्नी की माता : सास
  4. बेटे की पत्नी : बहू :: बेटी का पति : दामाद

V. नमूने के अनुसार लिखिए:

      उदा : कहानी – कहानियाँ माला – मालाएँ बात – बातें

  1. लड़की – लड़कियाँ     माता – माताएँ     आँख – आँखें
  2. कोठरी – कोठरियाँ     दिशा – दिशाएँ     दरार – दरारें
  3. पहली – पहेलियाँ        घटना – घटनाएँ    दुकान – दुकानें

VI. विलोम शब्दों की जोड़ी बनाइए:

      उदा : बाहर x अंदर

  1. सुख x दु:ख
  2. छोटा x बड़ा
  3. खुशी x गम
  4. टेढ़ा x सीधा
  5. बहुत x कम
  6. रात x दिन
  7. अपना x पराया
  8. गलत x सही

VII. पर्यायवाची शब्द लिखिए:

  1. पेड़ = वृक्ष, तरुवर
  2. घोड़ा = अश्व, तुरग
  3. दूध = क्षीर, माल
  4. पानी = जल, नीर
  5. घर = मकान, गृह
  6. औरत = नारी, महिला

VIII. सार्थक वाक्य बनाइए:

  1. सबको जैसे मौसी प्यारी माँ थी के।  – उत्तर: मौसी सबको माँ के जैसे प्यारी थी।
  2. वीरोचित सुनाती मौसी थी कहानियाँ।  – उत्तर: मौसी वीरोचित कहानियाँ सुनाती थी।
  3. दिन दूसरे मैच हॉकी लौट खेलकर रहे थे।  – उत्तर: दूसरे दिन हॉकी मैच खेलकर लौट रहे थे।
  4. पीने पानी के लिए मुन्नी लायी।  –  उत्तर: मुन्नी पीने के लिए पानी लायी।

IX. कन्नड़ या अंग्रेजी में अनुवाद कीजिए:

1. बच्चे नीम पेड़ तले खेलते थे।

ಮಕ್ಕಳು ಬೇವಿನ ಮರದ ಕೆಳಗೆ ಆಟವಾಡುತ್ತಿದ್ದರು.

The children were playing under the neem tree.

2. उसे सब मौसी कहकर पुकारते थे।

ಅವರನ್ನು ಎಲ್ಲರೂ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಎಂದು ಕರೆಯುತ್ತಿದ್ದರು.

Everyone called her Aunty.

3. बच्चों के लिए तो वह सेवा की मूर्ति थी।

ಮಕ್ಕಳಿಗೋಸ್ಕರ ಅವರು ಸೇವೆಯ ಮೂರ್ತಿಯಾಗಿದ್ದರು.

She was an idol of service to the children.

4. सब के घरों में झाँक कुशल-क्षेम पूछती थी।

ಎಲ್ಲರ ಮನೆಗಳಲ್ಲಿ ಇಣುಕಿ ಯೋಗಕ್ಷೇಮ ಕೇಳುತ್ತಿದ್ದರು.

She used to peep into everyone’s houses and ask for their well-being.

X. नमूने के अनुसार लिखिए:

       उदा: दूध —- > मलाई, माखन, घी, मिठाई

  1. पेड़ —> फल, फूल, पत्ता, लकड़ी
  2. सोना —> हार, कंगन, बाली, अँगूठी
  3. फूल —> माला, गुच्छा, गुलदस्ता, अगरबत्ती
  4. कागज़ —> पुस्तक, लिफाफा, चिट्ठी, समाचार पत्र

XI. क्या करना, क्या नहीं करना :

पाठशाला में और घर में आपको क्या – क्या करने के लिए कहा जाता है और क्या करने के लिए मना किया जाता है। तालिका में लिखिए:

      क्या करना है

  1. पढ़ना
  2. लिखना
  3. मेहनत करना

      क्या नहीं करना

  1. समय बर्बाद नहीं करना
  2. ज्यादा ज़िद नहीं करना
  3. ज्यादा मोबाइल का उपयोग नहीं करना

भाषा- ज्ञान

I. निम्न वाक्यों में क्रिया – विशेषण छाँटकर लिखिए:

  1. मीरा अच्छा गाती है।  – अच्छा
  2. योगराज कटोरे में दूध लाया।  – कटोरे
  3. मौसी धीरे से बोलती है।  –  धीरे
  4. राजधानी एक्सप्रेस गाड़ी अभी आयी है।  –  एक्सप्रेस
  5. बच्चे पेड़ के नीचे खेल रहे हैं।  –  पेड

Mausi lesson summary in hindi:

मौसी पाठ का सारांश:

प्रस्तुत पाठ में मौसी के निःस्वार्थ सेवा मनोभाव का चित्रण है। इस कहानी से बच्चों को परोपकार, बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर और असहायकों की मदद करने की प्रेरणा मिलती है।

उस औरत को सभी मौसी कहकर पुकारते थे, बच्चे भी और बड़ी उम्र के लोग भी। मौसी सबको माँ के जैसे प्यारी बनी थी। सबके सुख-दुःख के समय में साथ देती थी। बच्चों के लिए तो वह सेवा की मूर्ति बनी थी।

प्रतिदिन दोपहर होते-होते मौसी स्कूल के फाटक पर पहुँच जाती थी । जैसे ही छुट्टी की घंटी बजती वैसे ही बच्चे भागते हुए बाहर निकलते और मौसी के कंधों पर अपने – अपने बस्ते डाल देते। मोहल्ले के सभी बच्चे उसे घेरे रहते थे।

दोपहर ढलने पर मौसी नीम के पेड़ तले जा पहुँचती, जहाँ सभी बच्चे खेला करते थे। मौसी को बच्चों के साथ खेलना, उन्हें कहानियाँ, चुटकुले और पहेलियाँ सुनाना बहुत पसंद था। वह तोता तोती की कहानी, काठ के घोड़े की कहानी, – वीरोचित कहानी आदि सुनाती थी ।

मौसी बच्चों को खिलाने के लिए अपने पास चने, टिकिया, मूँग – फली आदि कुछ न कुछ रखती थी। वह बच्चों से अपने बेटे-बेटियों जैसे प्यार करती थी।

एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हुई, बच्चे बस्ते उठाकर बाहर निकले तो मौसी फाटक पर नहीं मिली। शाम को बच्चे खेलने के लिए निकले, तो मौसी पेड़ के नीचे भी नहीं थी । किसी को भी मालूम नहीं था कि मौसी कहाँ गई है ?

कई दिन बीत गए, पर मौसी का कुछ पता नहीं चला। उसके बिना सारा मोहल्ला सूना-सूना लगता था । एक दिन बच्चे मौसी की खोज में घूम रहे थे। तभी एक मकान के अंदर से ऊँची-ऊँची आवाज़ सुनाई दी, ‘हमने ठेका तो नहीं ले रखा है मौसी! बीस दिन से तुम यहाँ हो । अब तुम किसी दूसरे के घर चली जाओ।”

मौसी का नाम सुनकर बच्चे ठिठककर खड़े हो गए । बन्द दरवाज़े की दरार में से झांककर देखा तो मौसी एक खाट पर लेटी थी। उसके बाल उलझे हुए और चेहरा सूखा हुआ था। मौसी को ऐसी स्थिति में देखकर बच्चों को बहुत दुःख हुआ और गुस्सा आया ।

दूसरे दिन बच्चे हॉकी मैच खेलकर लौट रहे थे, तो रास्ते में पुल के पास मौसी बैठी नज़र आई। उसके पास एक छोटी-सी गठरी और लाठी भी थी। मौसी को देखकर सब उसे घेरकर प्रश्न पूछने लगे।

” तू इतने दिन कहाँ थी मौसी ? यहाँ क्यों बैठी हो ?” एक ने पूछा । “मैं यहाँ से जा रही हूँ बेटा।” कहते हुए मौसी की आँखें भर आईं, “तू तो बीमार थी मौसी? तबीयत कैसी है?” बलदेव ने पूछा। “बेटा, मैं ठीक हो गयी हूँ। अपना गाँव जा रही हूँ।” “हम तुझे कहीं नहीं जाने देंगे मौसी”, सबने एक स्वर में कहा। मौसी की आँखों में आँसू छलक उठे।

दुकान के सामने एक खाट बिछी थी। दो-तीन लड़के भागकर खाट उठा ले आए। उस पर मौसी को ज़बरदस्ती बैठा दिया। खाट को सीधे नीम के पेड़ के नीचे ले आए। कन्हैया भागकर अपने घर से दरी और तकिया लाया। उषा थाली में दो रोटियाँ लायीं। योगराज एक कटोरे में दूध लाया। गोपाल घर से लैंप उठा लाया। मुन्नी पीने के लिए पानी लायी । बलदेव के पिता डॉक्टर थे। वह अपने पिता को क्लिनिक से खींच लाया “मौसी बीमार है। आप जल्दी चलकर देखिए। “

बच्चे सोचने लगे कि मौसी को कहाँ ठहराया जाय। उन्होंने निर्णय लिया कि वे बारी-बारी से उसे अपने घर में रखेंगे। बाद में उन्होंने हेडमास्टर जी से बिनती की कि मौसी को स्कूल में काम दिया जाय । हेडमास्टरजी ने मान लिया और मौसी को रहने के लिए स्कूल में एक कोठरी भी दे दी।

मौसी फिर से स्कूल के आँगन में आने लगी। बच्चे उसे घेरे रहते और वह उन्हें कहानियाँ सुनाती । कभी कभी लाठी टेकती हुई मोहल्ले का चक्कर काटती, सभी घरों में झाँक उनका कुशल-क्षेम पूछती । साँझ ढले अपनी कोठरी में चली आती और चैन की साँस लेती।

इस तरह बच्चों के प्रेम व स्नेह भाव से मौसी के जीवन में खुशी के दिन लौट आये।

Mousi lesson summary in kannada:

ಮೌಸಿ (ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ) ಪಾಠದ ಸಾರಾಂಶ
ಪ್ರಸ್ತುತ ಪಠ್ಯದಲ್ಲಿ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನ ನಿಸ್ವಾರ್ಥ ಸೇವಾ ಮನೋಭಾವದ ಚಿತ್ರಣವಿದೆ. ಈ ಕಥೆಯು ಮಕ್ಕಳನ್ನು ಪರಹಿತಚಿಂತನೆ, ಹಿರಿಯರನ್ನು ಗೌರವಿಸಲು ಮತ್ತು ಅಸಹಾಯಕರಿಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡಲು ಪ್ರೇರೇಪಿಸುತ್ತದೆ.

ಎಲ್ಲರೂ ಆ ಮಹಿಳೆಯನ್ನು ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ, ಮಕ್ಕಳು ಮತ್ತು ಹಿರಿಯರು ಎಂದು ಕರೆಯುತ್ತಿದ್ದರು. ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ತಾಯಿಯಂತೆ ಆತ್ಮೀಯರಾದರು. ಸುಖ-ದುಃಖದ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲರನ್ನೂ ಬೆಂಬಲಿಸುತ್ತಿದ್ದಳು. ಮಕ್ಕಳ ಪಾಲಿಗೆ ಆಕೆ ಸೇವೆಯ ಮೂರ್ತಿಯಾಗಿದ್ದರು.

ಪ್ರತಿದಿನ ಮಧ್ಯಾಹ್ನದ ಹೊತ್ತಿಗೆ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಶಾಲೆಯ ಗೇಟ್ ತಲುಪುತ್ತಿದ್ದರು. ರಜೆಯ ಗಂಟೆ ಬಾರಿಸುತ್ತಿದ್ದಂತೆಯೇ ಮಕ್ಕಳು ಓಡಿಬಂದು ತಮ್ಮ ಚೀಲಗಳನ್ನು ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನ ಹೆಗಲ ಮೇಲೆ ಹಾಕಿದರು. ಊರಿನ ಮಕ್ಕಳೆಲ್ಲ ಅವನನ್ನು ಸುತ್ತುವರೆದರು.

ಮಧ್ಯಾಹ್ನದ ಹೊತ್ತಿಗೆ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಮಕ್ಕಳೆಲ್ಲ ಆಟವಾಡುತ್ತಿದ್ದ ಬೇವಿನ ಮರದ ಕೆಳಗೆ ತಲುಪುತ್ತಿದ್ದರು. ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಮಕ್ಕಳೊಂದಿಗೆ ಆಟವಾಡಲು ಇಷ್ಟಪಡುತ್ತಿದ್ದರು, ಅವರಿಗೆ ಕಥೆಗಳು, ಹಾಸ್ಯಗಳು ಮತ್ತು ಒಗಟುಗಳನ್ನು ಹೇಳುತ್ತಿದ್ದರು. ಗಿಣಿ ಗಿಳಿಯ ಕಥೆ, ಮರದ ಕುದುರೆಯ ಕಥೆ, ವೀರಗಾಥೆ ಇತ್ಯಾದಿಗಳನ್ನು ಹೇಳುತ್ತಿದ್ದಳು.

ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಮಕ್ಕಳಿಗೆ ತಿನ್ನಿಸಲು ಬೇಳೆ, ಕೇಕ್, ಮೂಂಗ್-ಪೋಡ್ಸ್ ಇತ್ಯಾದಿಗಳನ್ನು ತನ್ನೊಂದಿಗೆ ಇಡುತ್ತಿದ್ದರು. ಅವಳು ಮಕ್ಕಳನ್ನು ತನ್ನ ಸ್ವಂತ ಮಗ ಮತ್ತು ಹೆಣ್ಣು ಮಕ್ಕಳಂತೆ ಪ್ರೀತಿಸುತ್ತಿದ್ದಳು.

ಒಂದು ದಿನ ಶಾಲೆ ಮುಚ್ಚಿದಾಗ ಮಕ್ಕಳು ಬ್ಯಾಗ್ ಎತ್ತಿಕೊಂಡು ಹೊರಗೆ ಬಂದರು, ಗೇಟಿನಲ್ಲಿ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಕಾಣಲಿಲ್ಲ. ಸಂಜೆ ಮಕ್ಕಳು ಆಟವಾಡಲು ಹೋದಾಗ ಅತ್ತ ಮರದ ಕೆಳಗೆ ಇರಲಿಲ್ಲ. ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಎಲ್ಲಿಗೆ ಹೋಗಿದ್ದಾಳೆಂದು ಯಾರಿಗೂ ತಿಳಿದಿಲ್ಲವೇ?

ಹಲವಾರು ದಿನಗಳು ಕಳೆದವು, ಆದರೆ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನಲ್ಲಿ ಏನೂ ಕಂಡುಬಂದಿಲ್ಲ. ಅವನಿಲ್ಲದೆ ಇಡೀ ನೆರೆಹೊರೆಯು ನಿರ್ಜನವಾದಂತೆ ತೋರುತ್ತಿತ್ತು. ಒಂದು ದಿನ ಮಕ್ಕಳು ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನನ್ನು ಹುಡುಕಿಕೊಂಡು ಅಲೆಯುತ್ತಿದ್ದರು. ಆಗ ಒಂದು ಮನೆಯೊಳಗಿಂದ ದೊಡ್ಡ ಧ್ವನಿ ಕೇಳಿಸಿತು, ‘ನಾವು ಗುತ್ತಿಗೆ ತೆಗೆದುಕೊಂಡಿಲ್ಲ, ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ! ನೀವು ಇಪ್ಪತ್ತು ದಿನಗಳಿಂದ ಇಲ್ಲಿದ್ದೀರಿ. ಈಗ ನೀನು ಬೇರೆಯವರ ಮನೆಗೆ ಹೋಗು”

ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನ ಹೆಸರು ಕೇಳಿ ಮಕ್ಕಳು ದಿಗ್ಭ್ರಮೆಗೊಂಡು ಎದ್ದು ನಿಂತರು. ಮುಚ್ಚಿದ ಬಾಗಿಲಿನ ಬಿರುಕುಗಳಿಂದ ಇಣುಕಿ ನೋಡಿದಾಗ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಮಂಚದ ಮೇಲೆ ಮಲಗಿರುವುದು ಕಂಡಿತು. ಅವನ ಕೂದಲು ಜಡೆ ಮತ್ತು ಅವನ ಮುಖ ಒಣಗಿತ್ತು. ಇಂತಹ ಪರಿಸ್ಥಿತಿಯಲ್ಲಿ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನನ್ನು ನೋಡಿದ ಮಕ್ಕಳು ತುಂಬಾ ದುಃಖ ಮತ್ತು ಕೋಪಗೊಂಡರು.

ಮರುದಿನ ಮಕ್ಕಳು ಹಾಕಿ ಪಂದ್ಯವನ್ನು ಮುಗಿಸಿ ಹಿಂತಿರುಗುತ್ತಿದ್ದಾಗ ದಾರಿಯಲ್ಲಿ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಸೇತುವೆಯ ಬಳಿ ಕುಳಿತಿರುವುದು ಕಂಡುಬಂದಿತು. ಅವನ ಬಳಿ ಒಂದು ಚಿಕ್ಕ ಕಟ್ಟು ಮತ್ತು ಕೋಲು ಕೂಡ ಇತ್ತು. ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನನ್ನು ನೋಡಿ ಎಲ್ಲರೂ ಅವಳನ್ನು ಸುತ್ತುವರೆದು ಪ್ರಶ್ನೆಗಳನ್ನು ಕೇಳಲು ಪ್ರಾರಂಭಿಸಿದರು.

“ಅತ್ತೆ ಇಷ್ಟು ದಿನ ಎಲ್ಲಿದ್ದೀಯ? ಯಾಕೆ ಇಲ್ಲಿ ಕೂತಿದ್ದೀಯ?” ಒಬ್ಬರು ಕೇಳಿದರು, “ನಾನು ಇಲ್ಲಿಂದ ಹೋಗುತ್ತಿದ್ದೇನೆ ಮಗ.” ಅತ್ತೆಯ ಕಣ್ಣುಗಳು ತುಂಬಿ ಬಂದವು, “ನಿಮಗೆ ಖಾಯಿಲೆ ಬಂದಿತ್ತು ಆಂಟೀ.. ಆರೋಗ್ಯ ಹೇಗಿದೆ?” ಬಲದೇವ್ ಕೇಳಿದ “ಮಗ, ನಾನು ಚೆನ್ನಾಗಿದ್ದೇನೆ, ನಾನು ನನ್ನ ಹಳ್ಳಿಗೆ ಹೋಗುತ್ತಿದ್ದೇನೆ.” “ನಿನ್ನನ್ನು ಎಲ್ಲಿಗೂ ಹೋಗಲು ಬಿಡುವುದಿಲ್ಲ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ”, ಎಲ್ಲರೂ ಒಂದೇ ಧ್ವನಿಯಲ್ಲಿ ಹೇಳಿದರು. ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನ ಕಣ್ಣಲ್ಲಿ ನೀರು ಜಿನುಗಿತು.

ಅಂಗಡಿಯ ಮುಂದೆ ಒಂದು ಮಂಚ ಇತ್ತು. ಎರಡ್ಮೂರು ಹುಡುಗರು ಓಡಿ ಹೋಗಿ ಮಂಚ ತಂದರು. ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಬಲವಂತವಾಗಿ ಅದರ ಮೇಲೆ ಕೂರಿಸಿದರು. ನೇರವಾಗಿ ಬೇವಿನ ಮರದ ಕೆಳಗೆ ಮಂಚವನ್ನು ತಂದರು. ಕನ್ಹಯ್ಯ ಓಡಿಹೋಗಿ ತನ್ನ ಮನೆಯಿಂದ ಒಂದು ರಗ್ಗು ಮತ್ತು ದಿಂಬು ತಂದನು. ಉಷಾ ತಟ್ಟೆಯಲ್ಲಿ ಎರಡು ರೊಟ್ಟಿ ತಂದಳು. ಯೋಗರಾಜ್ ಒಂದು ಬಟ್ಟಲಿನಲ್ಲಿ ಹಾಲು ತಂದರು. ಗೋಪಾಲ್ ಮನೆಯಿಂದ ದೀಪವನ್ನು ಎತ್ತಿಕೊಂಡ. ಮುನ್ನಿ ಕುಡಿಯಲು ನೀರು ತಂದರು. ಬಲದೇವ್ ಅವರ ತಂದೆ ವೈದ್ಯರಾಗಿದ್ದರು. ಅವನು ತನ್ನ ತಂದೆಯನ್ನು ಕ್ಲಿನಿಕ್‌ನಿಂದ ಎಳೆದುಕೊಂಡು ಹೋದನು.”ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನಿಗೆ ಕಾಯಿಲೆಯಾಗಿದೆ, ನೀವು ಬೇಗನೆ ನಡೆಯಿರಿ.”

ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನಿಗೆ ಎಲ್ಲಿ ಸೌಕರ್ಯ ಕಲ್ಪಿಸುವುದು ಎಂದು ಮಕ್ಕಳು ಯೋಚಿಸತೊಡಗಿದರು. ಅವರನ್ನು ಒಬ್ಬೊಬ್ಬರಾಗಿ ತಮ್ಮ ಮನೆಯಲ್ಲಿ ಇಟ್ಟುಕೊಳ್ಳೋಣ ಎಂದು ನಿರ್ಧರಿಸಿದರು. ಬಳಿಕ ಶಾಲೆಯಲ್ಲಿ ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನಿಗೆ ಕೆಲಸ ಕೊಡಿಸುವಂತೆ ಮುಖ್ಯೋಪಾಧ್ಯಾಯರಿಗೆ ಮನವಿ ಮಾಡಿದರು. ಮುಖ್ಯೋಪಾಧ್ಯಾಯರು ಒಪ್ಪಿದರು ಮತ್ತು ಚಿಕ್ಕಮ್ಮನಿಗೆ ವಾಸಿಸಲು ಶಾಲೆಯಲ್ಲಿ ಸೆಲ್ ನೀಡಿದರು.

ಚಿಕ್ಕಮ್ಮ ಮತ್ತೆ ಶಾಲೆಯ ಅಂಗಳಕ್ಕೆ ಬರತೊಡಗಿದಳು. ಮಕ್ಕಳು ಅವಳನ್ನು ಸುತ್ತುವರೆದರು ಮತ್ತು ಅವರು ಅವರಿಗೆ ಕಥೆಗಳನ್ನು ಹೇಳುತ್ತಿದ್ದರು. ಕೆಲವೊಮ್ಮೆ ಕೋಲು ಹಿಡಿದು ಊರೂರು ಸುತ್ತಿ, ಎಲ್ಲ ಮನೆಗಳಿಗೂ ಇಣುಕಿ ಕ್ಷೇಮ ಕೇಳುತ್ತಿದ್ದಳು. ಮುಸ್ಸಂಜೆಯ ಹೊತ್ತಿಗೆ ತನ್ನ ಕೋಣೆಗೆ ಬಂದು ನೆಮ್ಮದಿಯ ನಿಟ್ಟುಸಿರು ಬಿಡುತ್ತಿದ್ದಳು.

ಈ ಮೂಲಕ ಮಕ್ಕಳ ಪ್ರೀತಿ ವಾತ್ಸಲ್ಯದಿಂದ ಅತ್ತ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಸಂತಸದ ದಿನಗಳು ಮರಳಿದವು.

Mousi lesson summary in english:

Summary of Mausi lesson
In the present text, there is a depiction of the selfless service attitude of the aunt. This story inspires children to be altruistic, respect for elders and help the helpless.

Everyone used to call that woman as aunty, children and older people also. Auntie became dear to everyone like a mother. She used to support everyone in their times of happiness and sorrow. For the children, she had become an idol of service.

Every day by noon, the aunt would reach the school gate. As soon as the holiday bell rang, the children ran out and put their bags on the aunt’s shoulders. All the children of the locality surrounded him.

At noon, the aunt would reach under the neem tree, where all the children used to play. Auntie loved to play with children, telling them stories, jokes and puzzles. She used to tell the story of parrot parrot, story of wooden horse, heroic story etc.

Aunty used to keep something like gram, cake, moong-pods etc. with her to feed the children. She loved children like her own sons and daughters.

One day, when the school was closed, the children came out after picking up their bags, and the aunt was not found at the gate. When the children went out to play in the evening, the aunt was not even under the tree. No one knew where Auntie had gone?

Several days passed, but nothing was found of the aunt. Without him the whole neighborhood seemed deserted. One day the children were roaming in search of aunt. Then a loud voice was heard from inside a house, ‘We have not taken the contract, aunty! You have been here for twenty days. Now you go to someone else’s house.”

Hearing the name of the aunt, the children stood up stunned. When she peeped through the crack of the closed door, she saw the aunt lying on a cot. His hair was matted and his face was dry. Seeing the aunt in such a situation, the children were very sad and angry.

The next day the children were returning after playing a hockey match, when on the way, the aunt was seen sitting near the bridge. He also had a small bundle and a stick. Seeing the aunt, everyone surrounded her and started asking questions.

“Where were you aunty for so long? Why are you sitting here?” One asked. “I am leaving here son.” Auntie’s eyes filled with saying, “You were sick, Auntie? How is your health?” Baldev asked. “Son, I am fine. I am going to my village.” “We will not let you go anywhere, aunty”, all said in one voice. Tears welled up in Aunt’s eyes.

There was a cot in front of the shop. Two or three boys ran away and brought the cot. The aunt was forced to sit on it. Brought the cot directly under the neem tree. Kanhaiya ran away and brought a rug and a pillow from his house. Usha brought two rotis in the plate. Yograj brought milk in a bowl. Gopal picked up the lamp from the house. Munni brought water to drink. Baldev’s father was a doctor. He dragged his father from the clinic. “Aunt is sick. You have a quick walk.”

The children started thinking where to accommodate the aunt. They decided that they would keep him in their house one by one. Later he requested the headmaster to give work to the aunt in the school. The headmaster agreed and gave the aunt a cell in the school to live in.

Auntie again started coming to the school yard. Children would surround her and she would tell them stories. Sometimes she used to walk around the locality carrying a stick, peeping into all the houses and asking for their well-being. At dusk she would come to her room and breathe a sigh of relief.

In this way, with the love and affection of the children, the happy days returned in the life of the aunt.

निष्कर्ष:

प्रिय छात्रों अब तक आपने इस 9th class/hindi/मौसी/lesson/Question answer/प्रश्न उत्तर लेख को पूरी तरह से पढ़ा होगा। हमें आशा है कि पाठ संबंधि आपकी सभी दुविधाओं का समाधान मिला होगा। अगर आप इस लेख से संबंधित हमसे कुछ पूछना या कहना चाहते हों तो जरूर कमेंट्स लिखिएगा। 

FAQs-बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न:

  1. 1. माँ के जैसी प्यारी कौन थी?

    उत्तर: माँ के जैसे प्यारी मौसी थी।

  2. 2. मौसी सभी को किस समय साथ देती थी?

    उत्तर: मौसी सभी को सुख-दु:ख के समय में साथ देती थी।

  3. 3. दोपहर होने पर मौसी कहाँ पहुँच जाती थी?

    उत्तर: दोपहर होने पर मौसी स्कूल के फाटक पर पहुँच जाती थी।

  4. 4. मौसी बच्चों को क्या-क्या खिलाती थी?

    उत्तर: मौसी बच्चों को चने, टिकिया, मूँग फली आदि खिलाती थी।

  5. 5. मौसी के बिना सारा मोहल्ला कैसा लगता था?

    उत्तर: मौसी के बिना सारा मोहल्ला सूना-सूना लगता था।

  6. 6. लड़के भागकर क्या उठाकर क्या ले आए?

    उत्तर: लड़के भागकर दरी,तकिया,रोटियाँ,दूध,लैंप आदि उठाकर ले आए।

  7. 7. बच्चों ने हेडमास्टर से क्या विनती की?

    उत्तर: बच्चों ने हेडमास्टर से विनती की कि- मौसी को स्कूल में काम दिया जाय।

  8. 8. मौसी के जीवन में कैसे दिन लौट आए?

    उत्तर: मौसी के जीवन में खुशी के दिन लौट आए।

9वीं कक्षा से संबंधित अन्य नोट्स को जरूर पढ़ें:

लेख से संबंधि अन्य जानकारी:

Source : Makkala vani youtube channel

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