इस लेख में 10वीं कक्षा तृतीय भाषा हिंदी पूरक वाचन पाठ Satya ki mahima notes को बहुत ही विस्तार से लिखा गया है। इस पाठ के सभी प्रश्नों के उत्तर को बहुत ही सही तरीके से लिखा गया है। साथ ही आपकी सुविधा के लिए नोट्स विडिओ को भी साझा किया गया है।
प्रिय छात्रों यह पाठ परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस छोटे से पाठ के इन सात उत्तरों का अभ्यास करने पर आपको बड़ी आसानी से 02 अंक मिल जाएंगे। तो चलिए इस नोट्स को पढ़कर इसका अभ्यास शुरू करते हैं।
Satya ki mahima notes
Satya ki mahima notes प्रश्नोंत्तर :
1. ‘सत्य’ कया होता है ? उसका रूप कैसे होता है?
उत्तर : सत्य ! बहुत भोला-भाला, बहुत ही सिधा-साधा ! जो कुछ भी अपनी आँखों से देखा, बिना नमक-मिर्च लगाए बोल दिया – यही तो सत्य है। कितना सरल ! सत्य दृष्टि का प्रतिबिंब है, ज्ञान की प्रतिलिपि है, आत्मा की वाणी है।
2. झूठ का सहारा लेते हैं तो क्या-क्या करना पड़ता है?
उत्तर : झूठ का सहारा लेते हैं तो एक झूठ साबित करने के लिए हजारों झूठ बोलने पड़ते हैं। और, कहीं पोल खुली, तो मुँह काला करना पड़ता है, अपमानित होना पड़ता है।
3. शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका कैसे समझाया गया है?
उत्तर : शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका इस प्रकार समझाया गया है – ‘सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्’ अर्थात्, ‘सच बोले जो दूसरों को प्रिय लगे,अप्रिय सत्य मत बोलो।’
4. “संसार के महान् व्यक्तियों ने सत्य का सहारा लिया है” – सोदाहरण समझाइए।
उत्तर : राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा विश्वविख्यात है। उन्हें सत्य के मार्ग पर चलते अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी कीर्ति आज भी सूरज की रोशनी के समान प्रकाशमान है। राजा दशरथ ने सत्यवचन निभाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। इस प्रकार संसार के महान् व्यक्तियों ने सत्य का सहारा लिया है।
Satya ki mahima notes video
Source : Rk Karnataka Hindi
5. माहात्मा गाँधी के सत्य की शक्ति के बारे में क्या कथन है?
उत्तर : उनका कथन है कि –“सत्य एक विशाल वृक्ष है। उसका जितना आदर किया जाता है, उतने ही फल उसमें लगते हैं। उनका अंत नहीं होता।”
6. झूठ बोलनेवालों की हालत कैसी होती है?
उत्तर : कभी-कभी झूठ बोल देने से कुछ क्षणिक लाभ अवश्य होता है, पर उससे अधिक हानि ही होती है जैसे- क्षणिक लाभ विकास के मार्ग में बाधा, व्यक्तित्व का कुंठित होना, लोगों का विश्वास उठ जाना तथा उन्नति के द्वार बंद हो जाना आदि।
7. हर स्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास क्यों करना चाहिए?
उत्तर : सत्य वह चिनगारी है जिससे असत्य पल भर में भस्म हो जाता है। अत: हमें हर स्थिति में सत्य बोलने और पालन करने का अभ्यास करना चाहिए।
Conclusion
जैसे कि आप ऊपर इस लेख को पढ़ चुके हैं। इस 10th Satya ki mahima notes के अंतर्गत सभी प्रश्नों के उत्तरों पर बहुत ही विस्तार रूप से लिखा गया है।
प्रिय छात्रों आपसे निवेदन है कि आप इस Satya ki mahima notes को ठीक से पढ़ाई कर इसका अभ्यास करें। ताकि आनेवाले वार्षिक परीक्षा में आपको पूर्ण अंक मिल सकें।
इस Satya ki mahima notes से संबंधित आपके कोई Doubts या विचार हो तो जरूर निम्न Comments box में लिखें।
FAQs बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न
1. ‘सत्य’ कया होता है ? उसका रूप कैसे होता है?
उत्तर : सत्य ! बहुत भोला-भाला, बहुत ही सिधा-साधा ! जो कुछ भी अपनी आँखों से देखा, बिना नमक-मिर्च लगाए बोल दिया – यही तो सत्य है। कितना सरल ! सत्य दृष्टि का प्रतिबिंब है, ज्ञान की प्रतिलिपि है, आत्मा की वाणी है।
2. झूठ का सहारा लेते हैं तो क्या-क्या करना पड़ता है?
उत्तर : झूठ का सहारा लेते हैं तो एक झूठ साबित करने के लिए हजारों झूठ बोलने पड़ते हैं। और, कहीं पोल खुली, तो मुँह काला करना पड़ता है, अपमानित होना पड़ता है।
3. शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका कैसे समझाया गया है?
उत्तर : शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका इस प्रकार समझाया गया है – ‘सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्’ अर्थात्, ‘सच बोले जो दूसरों को प्रिय लगे,अप्रिय सत्य मत बोलो।’
4. “संसार के महान् व्यक्तियों ने सत्य का सहारा लिया है” – सोदाहरण समझाइए।
उत्तर : राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा विश्वविख्यात है। उन्हें सत्य के मार्ग पर चलते अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी कीर्ति आज भी सूरज की रोशनी के समान प्रकाशमान है। राजा दशरथ ने सत्यवचन निभाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। इस प्रकार संसार के महान् व्यक्तियों ने सत्य का सहारा लिया है।
5. माहात्मा गाँधी के सत्य की शक्ति के बारे में क्या कथन है?
उत्तर : उनका कथन है कि –“सत्य एक विशाल वृक्ष है। उसका जितना आदर किया जाता है, उतने ही फल उसमें लगते हैं। उनका अंत नहीं होता।”
6. झूठ बोलनेवालों की हालत कैसी होती है?
उत्तर : कभी-कभी झूठ बोल देने से कुछ क्षणिक लाभ अवश्य होता है, पर उससे अधिक हानि ही होती है जैसे- क्षणिक लाभ विकास के मार्ग में बाधा, व्यक्तित्व का कुंठित होना, लोगों का विश्वास उठ जाना तथा उन्नति के द्वार बंद हो जाना आदि।
7. हर स्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास क्यों करना चाहिए?
उत्तर : सत्य वह चिनगारी है जिससे असत्य पल भर में भस्म हो जाता है। अत: हमें हर स्थिति में सत्य बोलने और पालन करने का अभ्यास करना चाहिए।
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